Tuesday, August 28, 2007

हीरक हैं वह व्यक्ति

शब्दों में है शक्ति अपार,
स्वर्णिम हैं जो बदले नहीं
घिसने से,
न उतरा है जिनका कलेवर
उपयोग से.

लेकिन हीरक हैं वे मानव
जो प्रयोग करते हैं
शब्दों का,
जल के समान बांध के,
शक्ति पैदा करने के लिये,
एवं बांटने
जनकल्याण के लिये.

शक्ति दो हे प्रभु,
कि समझे ताकत शब्दों की,
कि बदल सकें समाज को
उनके द्वारा.
लड सकें अन्याय, विषमता,
एवं गुलामी के विरूद्ध,
सहायता से
स्वर्णिम शब्दों के !!

[स्वर्णिम है वह शब्द के आस्वादन में लिखा गया]

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1 comment:

विपुल जैन said...

थोडा बडा लिखें, या background सफेद हो जाए