Saturday, December 22, 2007

एक स्त्री का दर्द !

न्यायप्रियता के लिये
जाने जाते हैं हम हिन्दुस्तानी
सहस्त्र वर्षों से.
अत: यकीन है मुझे पूरा,
कि मिलेगा मुझे आज,
न्याय सही
हिन्दुस्तानी समाज से.

मुझ से लोग लूटते हैं
हर दिन सेवा, पैसा, सबकुछ.
मेरी बहिन पर तो लोग लुटाते हैं,
हर दिन माया शतसहस्त्र.

पीडित करते हैं मुझे
लोग,
अत: हुई मैं अबला अनावृत
जनता के समक्ष सिर्फ इक बार.
प्रशंसा करते हैं बहिन की
मेरे,
अत: होती है वह अनावृत,
जनता के सामने, कैमरे के सामने,
मीडिया के सामने,
हर रोज.

दर्द किया प्रदर्शित
इस तरह इक बार मैं ने.
अत: आरोप लगा मुझ पर
अश्लीलता का.
प्रदर्शित करती है बहन मेरी ही,
कामुकता का,
जनता की वासना के लिये
हर रोज.
अत: कहा जाता है उसे,
कलाकार या मॉडल.

अब तुम ही न्याय करो,
हे मेरे हिन्दुस्तान,
कि कैसे हो गया अश्लील
इक दुखियारी का
एक मात्र दर्द प्रदर्शन,
एवं कैसे हो गया श्लील
इक कामुक भीड के समक्ष
मेरी ही बहन का
रोज का अनावरण.

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