खूब चल रहा है आजकल
फैशन
"लाईफटाईम" का.
लगाता है कि मिल जायगी
सारी दुनियां इक "स्कीम" में.
भूल जाते हैं वे कि,
न तो दुनियां समा सकती है
लाईफटाईम में,
न लाईफटाईम में समा सकती है
दुनिया.
जिन्दगी तो जिन्दगी है
एवं लाईफटाईम तो लाईफटाईम है.
कौन किससे बडा है
करता है यह निर्भर कि
हो तुम मानव या कालजयी.
बाकी सबके लिये तो
सिर्फ पूरक हो सकते हैं
लाईफटाईम एवं
जिंदगी.
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