Thursday, August 30, 2007

हैं पढने वाले बहुत कद्रदान आपके

सब दबे पाँव निकल गए आज
खाली है पोस्ट...
बोले हमारे मित्र यतीश!

मूड में हो क्या मजाक के
मान्यवर.
या यह किसी तरह का है
निराशावाद.

हम से पहले ही मिल गईं
आपको
पांच टिप्पणियां,
एवं ले लीजिये यह छटवां,
जो लिखा है हम ने
काफी लम्बा,
समझकर आपको अपना
कनिष्ट भ्राता.

सुन लें साथ में सुझाव
विपुल का,
और हटा दें हर तरह का
मॉडरेशन, जांच परख.
चाहता है हर टिप्पणीकार देखना,
आपकी कविता से पहले अपनी
टिप्पणी.
करेंगे वंचित उनको इस
सुख से,
तो आप भी रह जाओगे
दूर,
अच्छी टिप्पणियों से.

सही कहते हैं परमजीत,
कि देखते तो हैं बहुत,
लेकिन टिप्पणी के लिये
मिल पाता कहां है
हर दिन समय.
हम भी तो देख रहे हैं
चिट्ठे को आपके सुबह से,
लेकिन मिल पाया समय
सिर्फ बारह घंटे बाद.

लिखते जायें
टिप्पणी मिले या न मिले,  क्योंकि
हैं पढने वाले बहुत कद्रदान आपकी
कलम के !

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2 comments:

Unknown said...

/जी आपकी बात से मैं सहमत हूँ तथा आज के समय मे हो रहे परिवर्तन को देखते हुए ये जरूरी हो गया है कि समाज का ध्यान इस ओर आकर्षित किया जाय तथा सही उद्देश्यों को सामने रखा जाय

shama said...

Shashtrijee aapka bohot bohot dhanyawad...mai editting karke spell check karungee...Kahaneeke bareme...ye kahaneese zyada zindagee hai...kahanee to Aakashneem ya Neele Peele Phool thee asalme!!