क्यों नही सुधरेंगे.
जरूर होगा परिवर्तन,
यदि करेंगे हम में से हर कोई
योगदान अपना अपना.
याद दिला दूं पहले कि
था मानव काफी जंगली
सिर्फ कुछ हजार साल पहले.
न सुना था किसी ने
नाम जनतंत्र का, न्याय व्यवस्था का,
या कानूनी सुरक्षा का.
न था तब संविधान
एकाधिपति की इच्छा के अलावा
और कुछ.
हम क्या थे,
क्या हो गये,
और क्या होंगे अभी,
आओ विचारें सब मिल कर
यह सब कुछ
बोले थे कवि.
यही मैं दिलाना चाहता हूं
याद आप सब को आज.
परिवर्तन हुआ है बहुत
कुछ.
कोशिश करे हम मे से हरेक,
तो बहुत परिवर्तन होगा
अभी और.
आओ विचारें आज यह
हम सब मिलकर.
आओ कुछ करें ऐसा आज से,
कि हो देश कल एक
सुन्दर बगिया !
[क्या हम कभी नहीं सुधरेंगे ? का प्रत्युत्तर]
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1 comment:
bahut badhiyaa
Deepak Bharatdeep
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