Monday, December 17, 2007

कुर्बानी: आज का सत्य क्या है?

वे बोले
सच बात है कि
मैं ने किया था वायदा,
चुनाव लडने से पहले,
कि तोड लाऊंगा
इस गांव के लिये तारे
आसमान के.

मजबूरी है अब कि
शायद कर न पाऊं अधिक कुछ
सरकारी खजाने से.
बजट है छोटा इस साल,
किये जा रहे हैं खर्चे
हर ओर कम.

लेकिन निराश न होवें
मेरे प्रिय वोट बैंक.
कर दूंगा
जमीन आसमान एक,
कि आ जाये कमसकम इक सुनामी
इस गांव में.

नही हुआ तो
ले आऊं कम से इक
भूकंप एवं महामारी
इस गांव में.

"कुर्बान" हो जाये
कुछ लोग इस तरह यहां,
तो
गारंटी है "बची" जनाता के लिये
कि
आ जायगा अनुदान करोडों का
इस गांव में
कम से कम
विदेशों से.

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