Wednesday, December 12, 2007

सिरीमती मोहमाया

अंग्रेजी का ऐसा था प्रेम
सिरीमती मोहमाया को,
कंठ लंगोट बिना समझती
नहिं किसी को पुरुस.

काटे छुरी के बिना
खाये जो, तो समझे
उसे जनावर.
दिया बच्चों को हर तरह की
इंगलिस तालीम.

समझाया कुपूत को
कि मूरख हैं जो करते देसप्रेम.
समझाया पुत्री को कि मर्यादा है
कमजोरों की निसानी.

बेटा बना कलकटर,
बिटिया बनी कंपूटर पिरोगामर.
पहुंचाया तुरंत मांजी को,
बडे अनाथालय.

बोले यही रीत है मातासिरी,
अंगरेजी देसों की.

आपने चिट्ठे पर विदेशी हिन्दी पाठकों के अनवरत प्रवाह प्राप्त करने के लिये उसे आज ही हिन्दी चिट्ठों की अंग्रेजी दिग्दर्शिका चिट्ठालोक पर पंजीकृत करें. मेरे मुख्य चिट्टा सारथी एवं अन्य चिट्ठे तरंगें एवं इंडियन फोटोस पर भी पधारें. चिट्ठाजगत पर सम्बन्धित: विश्लेषण, आलोचना, सहीगलत, निरीक्षण, परीक्षण, सत्य-असत्य, विमर्श, हिन्दी, हिन्दुस्तान, भारत, शास्त्री, शास्त्री-फिलिप, सारथी, वीडियो, मुफ्त-वीडियो, ऑडियो, मुफ्त-आडियो, हिन्दी-पॉडकास्ट, पाडकास्ट, analysis, critique, assessment, evaluation, morality, right-wrong, ethics, hindi, india, free, hindi-video, hindi-audio, hindi-podcast, podcast, Shastri, Shastri-Philip, JC-Philip

No comments: