Sunday, December 9, 2007

इस्पीक इंगलिस !

श्रीमती टीमटाम को गम था कि
कभी न पढी अंग्रेजी.
कसक निकाली बचुवा को
भेज के स्कूल अंग्रेजी में.

अब बचुवा का रोज देख
कंठ लंगोट,
टीमटाम देवी समझे अपने को मेम.
इंगरेजी सब्द सीखे देवी ने
बचुवा से,
फिर सीखा उनको जोडना.

भिखारी आया द्वारे पें,
तो लगा कि मौका अच्छा
अभ्यास का.

बोलना था उससे कि
“बोलें
हम सिर्फ अंग्रेजी में”.
बोल दिया,
“वी बेगर्स
इस्पीक ओनली इंगलिस”

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1 comment:

Sanjay Karere said...

वाह जनाब, आप कविता में भी हाथ आजमाते हैं. यह नई जानकारी है मेरे लिए. अंग्रेजी की गुलामी से बाहर निकलने में अभी और समय लगेगा शास्‍त्री जी. कई बरसों से पनपा हुआ रोग है. जाते जाते ही जाएगा.